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कफ सिरप पीने से 66 बच्चों की मौत के बाद, घर-घर से हटा रही भारतीय सिरप

नई दिल्ली । गाम्बिया में भारत निर्मित कोल्ड और कफ सिरप पीने के बाद हुई 60 से ज्यादा बच्चों की मौत के बाद अब यहां इन चारों दवाइयों को जानलेवा बताते हुए डोर टू डोर कैंपेन चलाया जा रहा है। गाम्बिया रेड क्रॉस सोसाइटी के साथ मिलकर,स्वास्थ्य मंत्रालय ने डोर टू डोर कैंपेन के जरिए सैकड़ों युवाओं को इस संदिग्ध सिरप को इकट्ठा करने के लिए कहा है।
गाम्बिया में 60 से ज्यादा बच्चों की मौत के बाद भारतीय कप सिरप को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी जारी की थी। इसके बाद गाम्बिया ने भारत की ओर से निर्मित इन कफ सिरप को जानलेवा बताते हुए डोर टू डोर कैंपेन शुरू कर दिया है। इस कैंपेन में लोगों से इस कफ सिरप को तुरंत हटाने की बात कही जा रही है।
गाम्बिया रेड क्रॉस सोसाइटी के साथ मिलकर, स्वास्थ्य मंत्रालय ने डोर टू डोर कैंपेन के जरिए सैकड़ों युवाओं को इस संदिग्ध सिरप को इकट्ठा करने के लिए कहा है। एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, गाम्बिया में हेल्थ डायरेक्टर मुस्तफा बिट्टाये ने सभी बच्चों की मौत के कारणों की पुष्टि करते हुए बताया कि इन सभी बच्चों की मौत किडनी की गंभीर दिक्कतों की वजह से हुई है। इससे पहले, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मेडिकल अलर्ट जारी किया, जिसमें हरियाणा के सोनीपत में मेडेन फार्मास्यूटिकल की ओर से बनाए गए इन चार उत्पादों प्रोमेथाज़िन ओरल सॉल्यूशन,कोफ़ेक्समालिन बेबी कफ सिरप, मैकॉफ़ बेबी कफ सिरप और मैग्रीप एन कोल्ड सिरप को बेहद खराब मेडिकल प्रोडक्ट बताया गया।
उन्होंने कहा, “युवाओं की मौत उनके परिवारवालों के लिए दिल दहला देने वाली बात है.” WHO ने अलर्ट जारी करते हुए कहा कि अभी सिर्फ गाम्बिया में ही इन चारों उत्पादों के बारे में पता चला है लेकिन हो सकता है कि ये सभी उत्पाद अनौपचारिक तरीकों से बाकी देशों और क्षेत्रों में भी वितरित किए गए हों। ऐसे में WHO ने सभी देशों को सुझाव देते हुए कहा है कि इन चारों उत्पादों को वितरित होने से रोका जाए ताकि लोगों की जानों को बचाया जा सके. गाम्बिया की मेडिकल रिसर्च काउंसिल ने भी इसे लेकर चेतावनी जाती की है। काउंसिल ने एक स्टेटमेंट में बताया, पिछले हफ्ते, हमने किडनी की गंभीर बीमारी के चलते एक बच्ची को एडमिट किया लेकिन दुर्भाग्यवश वह बच नहीं पाई. ऐसे में हम इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि बच्ची ने अस्पताल आने से पहले इन चारों दवाइयों में से किसी एक का सेवन किया था जिसे गाम्बिया की ही किसी फार्मेसी से खरीदा गया था. बताया जा रहा है कि इन चारों सिरप में एक ऐसे टॉक्सिन की मात्रा की पुष्टि की गई है जिससे किडनी को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचता है। इस बीच, मेडेन फार्मास्युटिकल्स के एक सीनियर एग्जीक्यूटिव ने कहा कि कंपनी गाम्बिया में अपने खरीदारों से बच्चों की मौत से संबंधित डिटेल्स का पता लगाने की कोशिश कर रही है।
इन चारों सिरप कंपनियों के डाइरेक्टर्स में से एक नरेश कुमार गोयल ने रॉयटर्स से बात करते हुए कहा कि, हम स्थिति का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। “हम खरीदार के साथ मिलकर यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि वास्तव में क्या हुआ है। हम भारत में कुछ भी नहीं बेच रहे हैं.” इसी बीच, नई दिल्ली स्थित मधुकर रेनबो चिल्डरन हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ, पवन कुमार ने कहा, इस सभी दवाइयों में डायथिलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल अवैध मिलावट के रूप में किया गया था जिसके परिणामस्वरूप लोगों को किडनी और न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का सामना करना पड़ता है. डायथिलीन ग्लाइकॉल को काफी खतरनाक माना जाता है जिस कारण, फूड और दवाइयों में इसका इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है. लेकिन इसकी घुलनशीलता के कारण, कुछ दवा निर्माता कंपनियां गैर-विषैले पदार्थों जैसे ग्लिसरीन, कफ सिरप और एसिटामिनोफेन की जगह इसका गलत तरीके से इस्तेमाल करती हैं. पॉइजनिंग से होने वाली मौतों में, गंभीर किडनी फेलियर एक मुख्य कारण है और इसका असर इस पदार्थ को खाने के 8 से 24 घंटे के अंदर नजर आने लगता है. अगर लोगों को सही समय पर ट्रीटमेंट नहीं मिल पाता तो इसकी वजह से 2 से 7 दिनों के अंदर-अंदर किडनी फेलियर के अलावा शरीर के बाकी अंग भी काम करना बंद कर देते हैं।

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