देवास। भागवत कथा का प्रत्येक प्रसंग मनुष्य के चरित्र और स्वभाव को सुधारता है। कथा श्रवण करने पर श्री कृष्ण के प्रति प्रेम ना हो, पाप से घृणा ना जागे,धर्म के प्रति प्रेरित ना हो तो ये समझना कि आपने कथा सुनी ही नही। पाप, कर्मों का नाश करती है कथा, प्रेम को बढ़ाती है कथा। पहले हम अपने मन को सुधारें, फिर जगत को सुधारने निकले। अपने चरित्र से यदि अपनी आत्मा को संतोष मिले तभी मानो कि तुम्हारा स्वभाव सुधरा है। यहां आध्यात्मिक विचार माँ गंगा जनकल्याण समिति द्वारा पुलिस ग्राउंड में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन जया किशोरी जी ने व्यक्त किए। उद्धव प्रसंग का मार्मिक चित्रण करते हुए कहा कि श्री कृष्ण के प्रति गोपियों के प्रेम, नंद बाबा का प्रेम, यशोदा का वात्सल्य का वर्णन करते हुए प्रेम और करूणा का रस बरसाते हुए श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। भगवान की रासलीला का वर्णन करते हुए आपने कहा कि भगवान की रासलीला भक्त और भगवान का मिलन आत्मा और परमात्मा का मिलन है। इस रासलीला को कामदेव असफल नही कर सका। जिस रासलीला को देखने भगवान शंकर गोपी बनकर के आए हो उस अध्यात्मिकी पराकाष्ठा वाली भगवान की रासलीला का इस भौतिक भौतिक युग में मजाक उड़ाने वाले हमारी आस्था संस्कृति और देश का मजाक बना रहे है। रासलीला का अर्थ ना जाने वाले मूर्ख है। उसके अर्थ का अनर्थ करने वाले पापी है। परमपिता परमेश्वर ने हजारो सालो से तपस्या करने वाले बड़े-बड़े ऋषियों को वरदान दिया था इस अवतार में वे गोपी बनेगी ओर भगवान के साथ साथ भक्ति, नृत्य अर्थात रासलीला करेंगे। परंतु आज के अज्ञानी यह समझ नहीं सकते, किंतु हम सनातनी को संकल्प लेना होगा कि भगवान की किसी भी लीला का मजाक बनाने वाला हमारी संस्कृति, अध्यात्म और देश का मजाक बना रहा है। वो क्षमा के लिए योग्य नही है। कथा प्रसंग में मथुरा से कृष्णजी का आमंत्रण, कृष्ण का मथुरा जाना और कुब्जा का उद्धार करना तथा कंस वध करने का वर्णन किया। सांदीपनि आश्रम उज्जैन में शिक्षा अर्जन, वहीं सुदामा से मेत्री का वर्णन करते हुए आपने कहा कि जीवन में दरिद्रता का कारण वही बनता है, किसी के हक को खाना। भगवान के प्रति भक्ति रखने वाले भी छोटे से अपराध का बड़ा दुख प्राप्त करते है तो हम मनुष्य किस गिनती में आते है हमें गोपी की तरह प्रेम, नंद बाबा की तरह दुलार और यशोदा की तरह वात्सल्य रखना होगा। भगवान को किसी भी रूप में मानो परंतु भगवान से प्रेम करो। उद्धव प्रसंग में श्रीकृष्ण ने उद्धव की ज्ञान भक्ति के अंहकार को दूर किया और भगवान कृष्ण के प्रति गोपियों की प्रेम को दिखाया। यहीं भक्ति अंत में रूक्मणि और श्रीकृष्ण की विवाह प्रसंग का वर्णन करते हुए आपने कहा कि पति पति ही होता है। वो पति परमेश्वर तभी बन सकता है जब परमेश्वर जैसा काम करे। रुक्मणी विवाह की सुंदर सी झांकी प्रस्तुत की गई। व्यासपीठ की पूजा यजमान मानसिंह भाटी, लखन गोस्वामी और शैलेन्द्र वर्मा ने सपरिवार की। आरती में विशेष रूप से प्रदेश कांग्रेस महामंत्री, सामाजिक एवं धार्मिक कार्यकर्ता प्रदीप चौधरी,पूर्व पार्षद व धाकड़ समाज के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मदनसिंह धाकड़,युवा नेता विजेन्द्रसिंह राणा, युवा पत्रकार धीरज सेन,रवि यादव आदि उपस्थित थे। अतिथि का सम्मान रोहित गोस्वामी ने किया। कार्यक्रम का संचालन चेतन उपाध्याय ने किया।
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