देवास। पापी के पाप की अतिशयोक्ति होने के बाद ईश्वर उसका नाश कर संसार में धर्म की रक्षा करने के लिए प्रकट होते है। कंस ने वसुदेव देवकी के प्रथम बालक को नही मारा, उसका मन पिघल गया। नारद जी ने सोचा यदि दुष्ट का अगर मन पिघलता है तो उसके पाप खत्म हो जाते है और ये अगर पाप नही करेगा तो भगवान अवतार नही लेंगे। कंस का पाप नही बड़ेगा तो शीघ्र नही मरेगा। पाप न करने वालों को भगवान जल्दी नही मारते। ईश्वर तो किसी को भी नही मारते, मनुष्य को उनका पाप ही मारता है। यह विचार माँ गंगा जनकल्याण समिति द्वारा पुलिस लाईन में हो रही श्रीमद भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर प्रभु राम और श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के अवसर पर कहीं। आपने कहा कि प्रभु राम का जन्म नही होता तो संसार में मर्यादा नही होती और भगवान कृष्ण का जन्म नही होता तो दुष्टों की वृत्ति बढ़ जाती। कथा प्रसंगों में भक्त प्रहलाद की भगवान से चर्चा का सुंदर वर्णन करते हुए कहा कि प्रहलाद ने भगवान से कहा कि प्रभु हमारे पांच विवाह हो गए है। उस बंधन से में मुक्त होना चाहता है। वो विवाह है भोग के साथ, काम के साथ, आलस्य के साथ, मोह के साथ और विलास के साथ। इस बंधन से मुक्त होए बिना मैं मुक्ति नही पाऊंगा। इनका उपभोग हम भी जन्मों से करते आ रहे है। संसार इससे कभी तृप्त नही होता। भगवान को प्राप्त करना है तो स्वयं को प्रबल बनाओ। भक्ति के प्रताप से ही भक्त सशक्त बन सकता है। उस पर बुराई हावी नही होती। जैसे कोरोना बीमारी आई थी। इसमें वहीं बचा है, जिसके शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता अच्छी थी। अध्यात्म भी यहीं कहता है कि आप अंदर से मन से कितने तैयार हो। वैराग्य के लिए जंगल में जाने की जरूरत नही है। ग्रहस्थ भी एक आश्रम है। हम ग्रहस्थ में रहकर परिवार को अच्छे संस्कार दे। सनातन विचारों के साथ मर्यादाओं का पालन करे। श्रेष्ठ कर्मो के साथ जीवन को संचालित करे। बच्चों को शास्त्र एवं शस्त्र का अध्ययन करायें। आपने कहा कि स्वर्ग चाहिए तो मरना पड़ेगा और अगर कल्याण चाहिए तो स्वयं को सत्संग करना पड़ेगा। बिना सत्संग के, बिना गुरू आश्रय के आप अपना कल्याण नही कर सकते। हम अपने जीवन में समय से बंधे। नियम ऑफीस जाना, बच्चों को समय पर स्कूल भेजना, खाना समय पर बनाना, समय पर घूमने जाना। सबकुछ समय पर करते है, परंतु भगवान के मंदिर में या भगवान की आराधना करने के लिए समय नही निकाल पाते। पिकनिक पार्टी के लिए हम छुट्टी ले लेंगे। मगर धार्मिक अनुष्ठान व तीर्थों में जाने के लिए हमारे पास समय नही है। आपने वामन अवतार का वर्णन करते हुए दानवीर राजाबलि की दान की पराकाष्ठा का बहुत ही सुंदर चित्रण व्यक्त किया। आपने कहा दान से घटता नही। दान से बढ़ता है। राजाबलि ने भगवान वामन अवतार को तीन पग भूमि दान कर संसार के सबसे बड़े दानि के रूप में अपनी गिनती करवाई। भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के जन्म की कथा का वर्णन करने के पश्चात रामलला और कृष्ण कन्हैया के जन्म का उत्सव मनाया। श्रोतागण बधाई गीत पर जमकर झूमे। इस अवसर पर यजमान मानसिंह भाटी ने व्यासपीठ की पूजन की। आरती में पूर्व महापौर जयसिंह ठाकुर, पोप सिंह परिहार, अनिलराज सिंह सिकरवार, विजेन्द्र उपाध्याय, धर्मेन्द्र पीपलोदिया, डॉ. अखिलेश, पवन वर्मा, मुकेश वर्मा, संजय शर्मा, डॉ. प्रकाश गर्ग, एमपी नागर, नारायण गिरी गोस्वामी आदि उपस्थित थे। कथा में 25 हजार से अधिक भक्तजन उपस्थित थे। संचालन चेतन उपाध्याय ने किया।
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