देवास। मालीपुरा स्थित माली समाज धर्मशाला में चल रही श्रीराम कथा के सातवें दिवस ऋषि मिलन,पंचवटी निवास एवं सीताहरण कथा का प्रसंग हुआ। कथा के प्रसंगों को सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए। पं.लखन महाराज ने व्यासपीठ से प्रसंग सुनाते हुए श्रद्धालुओं को बताया कि रावण ने अपने अहंकार के कारण माता सीता का हरण किया। उसने माता सीता का हरण करने के लिए साधु का वेश बनाया व जंगल में भीक्षा मांगने लगा। जब वह माता सीता के द्वार पर आया, तो उसने माता सीता को भी भिक्षा डालने को कहा तो माता सीता भिक्षा लेकर आ गई। जब वह साधु रुप में रावण को भिक्षा डालने लगी,तो उसने कहा कि हम द्वार के अंदर से भीक्षा नहीं लेते,अगर तुम्हें भिक्षा देनी है,तो बाहर आकर दो। माता सीता ने कहा कि उन्हें भ्राता लक्ष्मण का आदेश है, वह इस लक्ष्मण रेखा के बाहर नहीं जा सकती,तो इस पर साधु ने कहा कि अगर वह लक्ष्मण रेखा के बाहर आकर भिक्षा नहीं दे सकती,वह बिना भीक्षा लिए खाली हाथ ही लौट जाते है। इतना कहने पर माता सीता लक्ष्मण रेखा से बाहर आकर साधू को भीक्षा देने लगी, तो वह माता सीता को अपने साथ उठा कर ले गया। कथा सुनकर पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। कथा पांडाल में भारी संख्या में महिलाएं व पुरूष मौजूद थे। आयोजक पूर्व पार्षद सत्यनारायण माली ने बताया 11 मार्च तक प्रतिदिन दोपहर 1.30 से 4.30 बजे तक चल रही है।
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