देवास । कल्पपकम आज देश को गौरान्वित करने वाला परमाणु उर्जा सयंत्र है। आमतौर पर रिएक्टर की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की जाती रही है जो हमेशा कोतुहल का विषय बना रहता है। इस चिता को ध्यान में रखकर जब सयंत्र को नजदिक से देखा जाता है तब मन भय मुक्त हो जाता है। जन मानस अपने क्षेत्र में ऐसे सयंत्र को स्थापित करने का विरोध करता है क्योंकि उनके मन मे रेडिशयन के प्रति कही हद तक स्वास्थ और पर्यावरण को लेकर भय बना रहता है। इस सयंत्र को देख कर मन भय मुक्त हुआ है। जब इन आशंकाओं को दूर करते हुए ऊर्जा विभाग के डायरेक्टर डॉ बी वेंकटरमन एवं विभाग की टीम द्वारा बताया गया कि रिएक्टर और इससे पर्यावरण और जन जीव जंतुओं को किसी भी प्रकार की हानि नही है। सयंत्र के चारो ओर हरियाली एवम जीव जंतु ओं को सरक्षण देने जैसा वातावरण है। सुरक्षा की दृष्टि से किसी तरह का डर अनावश्यक है।
कल्पकम परमाणु ऊर्जा सयंत्र से सम्बंधित परियोजना के निर्देशक का कहना है कि लोग सुरक्षा सम्बंधित चिंताओं के कारण भयभीत है हमारे रिएक्टर सुरक्षित है ओर किसी उद्योग से बेहतर स्थिति में है। उन्होंने सयंत्र परिसर में सुरक्षा विषयो को लेकर किसी भी प्रकार की चिंताओं सिरे से खारिज कर दिया।
वही संस्था के धीरज जैन ने कहा कि अध्यन की चार सीढ़ी है। प्रथम प्रयोगिक अध्यन, नई तकनीकी से प्रयोग, तृतीय टेस्ट द्वारा प्रयोग तथा चतुर्थ नवीन तकनीकी का विकास करना ।
वही संस्था की जनसम्पर्क अधिकारी श्रीमती जलजा मदन का मत था कि वैज्ञानिक अध्ययन द्वारा कई क्षेत्रों में क्रांति ला दी गई है। जैसे कि कृषि,परमाणु तकनीक,औद्योगिक औजार ,स्वास्थ, इंजीनयरिंग,पर्यावरण,रसायनिक,जल आदि से सम्बंधित तकनीकी विकास हुआ है। कृषि मे 40, बिकीरण 15,अत्यधुनिक 30,स्वास्थ 19,तकनीकी इंजीनियरिंग 15 , पर्यावरण 7,रसायनिक 27 और जल में 26। सबको मिलाकर कुल 179 तकनीकों का BARC द्वारा तकनीकी विकास किय्या गया है।
डॉ वत्स के अनुसार अप्रकृतिक रूप से हीरे एवम कई महत्व पूर्णधातु का निर्माण हमारे वैज्ञनिको द्वारा किया जा चुका है। साथ ही प्रदूषित पानी को उपचार करके स्वच्छ पानी मे परिवर्तन करने की प्रक्रिया भी की जा रही है। वही टाटा मेमोरियल के डॉ श्री गणेशन द्वारा बताया गया कि केंसर जैसी खतरनाक बीमारी का निदान भी हमारे इन्ही वैज्ञानिक के सहयोग से किया जा रहा है। कैंसर रोग की मृत्यु दर कम हुई है और उपचार द्वारा ठीक होने की दर में व्रद्धि हुई है। डॉ गणेश ने कहा कि सयंत्र स्वस्थ की दृष्टि से सुरक्षित है और यहाँ के परिसर में हवा, भोजन, दूध, जल और सभी चीजें स्वच्छ है और सयंत्र से प्रभावित नही है। प्रो. जैन के अनुसार शुगर से होने वाले पेर के अल्सर को NOX रिलिसिंग ड्रेसिंग के द्वारा उपचार , राष्ट्रीय कवच का निर्माण ( यह कम वजन का होने के कारण आसानी से प्रयोग कर सेनिको को भार मुक्त करता है पूर्व में इसका बजन 14 से 15 किलो का होता था अब 3 से 5 किलो है) ।
वही डॉ वत्स के मत के अनुसार छोटे आकार 100 ग्राम की ecG मशीन को बनाया गया है जिस से आसानी से ECG की जा सकती है रेडियशन द्वारा आँखों के कैंसर का इलाज भी किय्या जा सकता है। परमाणु वेस्ट मटेरियल से अच्छी गुणवत्ता के आलू को लंबे समय तक रखा जा सकता है।
वही डॉ योजना सिंह जी ने प्रदर्शनी में रखे अनाज के बारे में जानकारी दी। अनाज के निर्यात में व्रद्धि हुई है। हमने लम्बे समय तक अनाज को सुरक्षित रखने की तकनीकी को विकसित किया है। जिसमे मूंग, उड़द, मुगफली, राई , चवला, सोयाबीन, सूरजमुखी, जुट, अरहर, ,चावल आदि जो किसानों के लिए फायदे मन्द है।
D A E द्वारा कई तकनीकी पाठ्यक्रम दिए जा रहे है जिसमे HBNI होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान प्रमुख है।
सुनामी के कारण सयंत्र को नुकसान की आशंका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जब 9.1 तीव्रता सुनामी सयंत्र के पास आई थी। उस समय पानी का प्रवेश नही हुआ। हम सुरक्षित थे तो हमने युद्ध स्तर पर सयंत्र को सुरक्षित कर लिया। नुकसान से सयंत्र को बचा लिया सभी योद्धा हमारे लिए बधाई के पात्र है।
परंतु फिर भी पृथ्वी गर्म करने वाली ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को तेज़ी से कैसे घटाया जाए। बहुत से देश कई सारी कोशिशों के बावजूद जलवायु परिवर्तन के लिए ज़िम्मेदार हानिकारक गैसों में कमी नहीं ला पा रहे। क्या उनके लिए न्यूक्लियर एनर्जी यानी परमाणु ऊर्जा मददगार साबित हो सकती है?
इस समय दुनिया भर में 10 प्रतिशत बिजली न्यूक्लियर रिएक्टर्स में पैदा हो रही है। मगर एक दशक पहले जापान के फुकुशिमा में हुए परमाणु हादसे के बाद से न्यूक्लियर एनर्जी को लेकर सरकारें अब ज़्यादा सावधान हो गई हैं। कल्पाक्कम (Kalpakkam) भारत के तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम ज़िले में स्थित एक शहर है। यह राज्य की राजधानी, चेन्नई, के 70 किमी दक्षिण में बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित है। यह भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के मद्रास परमाणु ऊर्जा संयंत्र तथा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केन्द्र के लिये प्रसिद्ध है। कलपक्कम में स्थित मद्रास परमाणु ऊर्जा स्टेशन ( एमएपीएस ) एक व्यापक परमाणु ऊर्जा उत्पादन, ईंधन, पुनर्संसाधन और अपशिष्ट उपचार सुविधा है जिसमें फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों के लिए प्लूटोनियम ईंधन निर्माण शामिल है। (एफबीआर)। यह भारत का पहला पूरी तरह से स्वदेशी रूप से निर्मित परमाणु ऊर्जा केंद्र भी है। जिसमें दो इकाइयां 220 मेगावाट बिजली पैदा करती हैं। स्टेशन की पहली और दूसरी इकाइयाँ क्रमशः 1983 और 1985 में महत्वपूर्ण हो गईं। स्टेशन में रिएक्टर भवन में डबल शेल कंटेनमेंट के साथ रिएक्टर रखे गए हैं, जो शीतलक दुर्घटना के मामले में भी सुरक्षा में सुधार करते हैं । कलपक्कम में एक अंतरिम भंडारण सुविधा (आईएसएफ) भी स्थित है। यहाँ के वैज्ञानिक का सटीक मत यह है कि रेडिएशन कहाँ नही है हमारे आस पास सभी जगह मौजूद है फिर भय क्यो?
देश बड़े संघठन Nuji से आये पत्रकार साथियो एवं विशेष nuji महामंत्री सुरेश शर्मा,पूर्व अध्यक्ष अशोक मलिक, सर्जना शर्मा की उपस्थिति एवम आतिथ्य में सभी पत्रकारों द्वारा क्षेत्र का भ्रमण किया गया। प्रकृतिक वातावरण स्वस्थ एवं कुदरत के समीप देख कर कई हद तक सभी मीडिया का भय कम हुआ और जानकारी का व्यपाक आगमन हुआ। सिक्के के दो पहलू होते है एक अच्छाई तो दूसरी… हम सभी द्वारा ऊर्जा केंद्र के परिवार की ऊर्जा की सराहना के साथ ही डॉ वत्स,जलजा जी,शैलजा जी,दिनेश जी को धन्यवाद।