Breaking News

जिसने सबुरी की वह बच गया, सबूरी नहीं करता वह बह जाता है.. साहेब मंगल नाम

देवास। जिस नाभि से हम बह कर आए हैं वह भवसागर हैं। 9-10 मास में हमारे प्राण पुरुष का मंदिर (देह) तैयार होकर के इस सांसारिक भवसागर में आता है। प्राण पुरुष का मंदिर अर्थात देह का निर्माण देह से ही हुआ है। प्रेम नगर में रहनी हमारी भली बनी आई सबुरी में, मां के पेट में सबूरी करना पड़ती है। जिसने सबुरी कर ली वह बच जाता है। जो बच्चे के रूप में इस संसार में आता है। जठर अग्नि में पक कर प्राण पुरुष (देह) का मंदिर तैयार होता है।लेकिन जिसने मां के पेट मे सबुरी नही की वह बह गया ओर जिसने सबुरी करली वह बच जाता है। यह विचार सतगुरु साहेब मंगल नाम ने सदगुरु कबीर प्रार्थना स्थली प्रताप नगर में 14 जनवरी से 26 जनवरी तक मनाए जाने वाले 13 दिवसीय बसंत महोत्सव पर्व की तैयारियों के दौरान गुरु शिष्य संवाद आयोजन में प्रकट किए। उन्होंने आगे कहा कि चार वेद, छह शास्त्र, पुराण अष्ठदश, आशा दे जग बाँधिया तीनो लोग भुलाय। पांचवा वेद कबीर का है जो सुषुम् वेद है जो सांसो की ध्वनियों से पैदा हुआ है, और आत्म शांति का मार्ग है। हंस तन जना, हंस द्वारा शरीर का जन्म हुआ है। जब तक सद्गुरु के संवाद को परमात्मा के संवाद को विश्वास पूर्वक गोष्टी पूर्वक नहीं समझा जाएगा तब तक संसार में अशांति बनी रहेगी। विश्व में आज भी तीर, तोप और तलवार का चलन खत्म नहीं हुआ है। सद्गुरु, परमात्मा आत्म शांति का मार्ग बताते हैं। संवाद और गोष्ठियों को महत्त्व देने की बात करते हैं। आदमी आज भी अहंकार वश इन मार्गो को अपनाना ही नहीं चाहता। फिर शांति कैसे आएगी।

About Rajesh Malviya

Reporter since last 25 years..

Check Also

एक्ट ईव फाउंडेशन द्वारा आयोजित सुनहरे दौर के गीतों का देर रात तक आनंद लेते रहे श्रोता…..

देवास। शहर की सामाजिक संस्था एक्ट-ईव फाउंडेशन द्वारा रविवार को आयोजित सदाबहार गीतों की शाम …

error: Content is protected !!