देवास। मानव सेवा ही उस महामानव याने परमात्मा तक पहुंचने का सबसे सीधा एवं सरल रास्ता है। यदि हम सक्षम है तो हमें गरीब तथा निम्न स्तर के लोगों को गले लगाकर उनकी तन-मन-धन सेे सेवा करके उन्हें अपना एवं अपने समान बनाने का पुरूषार्थ करना ही चाहिये। ये अपने बने हुए लोग सदैव अपने साथ खड़े रहेंगे। हमने निर्माण तो बहुत किये है, अब मानव एवं समाज का निर्माण करना है। यदि मानव निर्माण नहीं है तो इन स्थाई निर्माणों का कोई औचित्य नहीं रहेगा। हमें हमारी सोच में बदलाव लाना होगा। स्वार्थ रहित निष्काम भाव से किसी भी जीव एवं जीवात्मा की सेवा ही परमात्मा, धर्म तथा राष्ट्र की सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वोपरी सेवा है। यह निष्काम सेवा ही सामाजिक समरसता, राष्ट्र सेवा एवं समाज सेवा के नये आयाम पैदा करते हुए अंतत: समाज रक्षा की दिशा में सार्थक परिणाम के रूप में स्थापित होगी। यह बात जैन मित्र संस्था के प्रमुख मुम्बई निवासी शैलेन्द्र घीया ने कही। जैन मित्र संस्था के माध्यम से अब तक जरूरतमंदों को 2 लाख स्वेटर एवं रोजमर्रा की सामग्री का वितरण करने वाले 88 वर्षीय श्री घीया का देवास में आगमन हुआ। इस अवसर पर श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन मंदिर पर देवास जैन समाज द्वारा आयोजित सम्मान समारोह एवं मार्गदर्शन उद्बोधन का आयोजन किया गया। उल्लेखनीय है कि इस वयोवृद्ध अवस्था में समाज सेवा, मानव सेवा एवं दान प्रवृत्ति के मद्देनजर राजस्थान सरकार ने आपको दानवीर भामाशाह की उपाधि प्रदान की है। वनवासी कल्याण परिषद एवं सेवा भारती के माध्यम से आपने जनसेवा करते हुए सन् 2007 से आज तक स्वयंं के खर्च पर जरूरतमंदोंं को बड़ी मात्रा में स्वेटर एवं अन्य कई सामग्रियां वितरित की है। संपूर्ण देवास जिले में भी यह वितरण किया गया l दानवीर शैलेन्द्र घीया के सम्मान समारोह अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विभाग संचालक कैलाश चंद्रावत, विभाग प्रचारक दिनेश तेजरा, जिला संचालक मनोहर विश्वकर्मा, जिला प्रचारक राहुल भौमिक, जनजातिय कार्यप्रमुख आशुतोष चतुर्वेदी, निगम सभापति रवि जैन, समाजसेवी आदि उपस्थित थे।
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