बागली (सुनील योगी)। क्षेत्र के अधिकतर मंदिरों में मंदिर संचालन के नाम से कृषि भूमि का रकबा 5 बीघा से 10 बीघा तक सीमित है। लेकिन बागली सबडिवीजन क्षेत्र के अंतिम छोर में बसे पिपरी स्थित सीता माता मंदिर के नाम से 100 बीघा जमीन होने के बावजूद भी मंदिर की दुर्दशा इतनी दयनीय है कि यहां पर श्रद्धालुओं को उचित तरीके से पानी तक नहीं मिलता। विगत दिनों यह मामला हाई प्रोफाइल तरीके से सामने आया था। यहां के वर्षों से चले आ रहे पुजारी परिवार को कोर्ट द्वारा बेदखल कर अन्य व्यवस्था लागू की थी। किंतु राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते फिर पुरानी व्यवस्था लागू हो गई। मंदिर परिसर में पहले परिक्रमावासियों के लिए भोजन एवं अल्पाहार की व्यवस्था रहती थी । साथ में लंबे समय तक सफर करके आए यात्रियों के लिए विश्राम की विशेष व्यवस्था यहां पर मौजूद थी । धार्मिक अवसरों पर भोजन भंडारा और अन्य कार्यक्रम यहां संचालित होते थे। वर्तमान में मंदिर में अधिकतर समय ताला लगा रहता है। एक और देश के यशस्वी प्रधानमंत्री अयोध्या में श्री शराम मंदिर का ताला खुलवाकर वहां पर भव्य मंदिर बनवा रहे हैं दूसरी ओर उनकी धर्मपत्नी सीतामाता का मंदिर धीरे-धीरे ताले में बंद हो रहा है। नवागत कलेक्टर ऋषभ गुप्ता एवं बागली अनुविभागीय अधिकारी एसआर सोलंकी इस मामले में हस्तक्षेप कर इस मंदिर के जीर्णोद्धार के विषय में भी सोचे और मंदिर ट्रस्ट की 100 बीघा जमीन का पूरा हिसाब ले। विगत दिनों लगभग दो दर्जन श्रद्धालुओं ने इस मामले की मुख्यमंत्री हेल्पलाइन क्रमांक 181 पर शिकायत की है। शिकायतकर्ता सतीश अग्रवाल गणेश सेन सुमित गुप्ता देवराज गोले राजा सिसोदिया जीवन चावड़ा शुभम सेंधव राहुल वास्केल हेमराज सेन विपुल तिवारी महेंद्र अंकित महाजन सहित कई श्रद्धालु है। लेकिन एकभी शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है। अब समय आ गया है कि रामलला अयोध्या में विराजित हो रहे हैं तो सीता माता भी सीता मंदिर में सम्मानपूर्वक विराजित रहें।
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