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जीवन में जितने भी अनुभूतियां होती भक्ति की अनुभूति सर्वश्रेष्ठ हैं-आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत

देवास। देवास एवं उसके आसपास के जिलों लगभग 3000 से भी ज्यादा आनंद मार्गी बिहार,जमालपुर बाबा नगर में तीन दिवसीय धर्म महासम्मेलन में भाग ले रहे हैं। जो लोग इस धर्म महा सम्मेलन में शारीरिक रूप से सम्मिलित नहीं हो पाए हैं वह घर बैठे भी वेब टेलीकास्ट के माध्यम से मोबाइल एवं लैपटॉप पर धर्म महासम्मेलन का आनंद ले रहे हैं। आनंद मार्ग प्रचारक संघ देवास के भुक्तिप्रधान ने बताया कि बाबा नगर, (जमालपुर),अमझर के आनंद संभूति मास्टर यूनिट के मैदान में तीन दिवसीय धर्म महासम्मेलन के तीसरे दिन साधक- साधिकाओं ने ब्रह्म मुहूर्त में गुरु सकाश,पाञ्चजन्य एवं योगासन का अभ्यास अनुभवी आचार्य के निर्देशन में किया। देवास जिले के डायोसिस सचिव आचार्य शांतव्रतानन्द अवधूत ने बताया कि आनंद मार्ग प्रचारक संघ के पुरोधा प्रमुख श्रद्धेय आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने प्रवचन में कहा कि जीवन का लक्ष्य विषय पर श्रद्धेय पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने कहा कि शास्त्रों में तो मोक्ष प्राप्ति के तीन मार्ग बताए गए हैं-ज्ञान,कर्म और भक्ति। परंतु उन्होंने कहा कि बाबा श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने इसे खंडन करते हुए कहा कि भक्ति पथ नहीं है बल्कि भक्ति लक्ष्य है जिसे हमें प्राप्त करना है साधारणत: लोग ज्ञान और कर्म के साथ भक्ति को भी पथ या मार्ग ही मानते हैं परंतु ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि जीवन में जितने भी अनुभूतियां होती भक्ति की अनुभूति सर्वश्रेष्ठ है। ज्ञान मार्ग और कर्म मार्ग के माध्यम से मनुष्य भक्ति में प्रतिष्ठित होते हैं। और बाबा कहते हैं कि भक्ति मिल गया तो सब कुछ मिल गया तब और कुछ प्राप्त करने को कुछ नहीं बच जाता। उन्होंने बताया की मोक्ष प्राप्ति के उपाय एवं में भक्ति श्रेष्ठ है भक्ति आ जाने पर मोक्ष यूं ही प्राप्त हो जाता है भक्तों बंद होने पर भक्तों की विजय होती है। भक्त और मोक्ष में द्वंद होने पर भक्त की विजय होती है मोक्ष यूं ही रह जाता है। पुरोधा प्रमुख ने कहा कि परमात्मा कहते हैं की मैं भक्तों के साथ रहता हूं जहां वे मेरा गुणगान करते हैं कीर्तन करते हैं परम पुरुष के प्रति जो प्रेम है उसे ही भक्ति कहते हैं। निर्मल मन से जब इष्ट का ध्यान किया जाता है तो भक्ति सहज उपलब्ध हो जाता है। मोक्ष के समग्र कारणों में भक्ति सर्वश्रेष्ठ है। तामसिक,राजसिक,सात्विक रागानुगा,रागात्मिका केवला भक्ति पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए आचार्य ने कहा कि केवला भक्ति ही सर्वश्रेष्ठ है। केवला भक्ति को पाने के लिए नैतिक नियमों का कठोरता से पालन करते हुए आध्यात्मिक साधना का अभ्यास करना होगा। उक्त जानकारी सेवा धर्म मिशन के भुक्तिप्रधान हेमेन्द्र निगम ने दी।

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