देवास। श्रीमद् भागवत कथा में चतुर्थ दिवस समुद्र मंथन में निकले विष को भगवान शिव ने पिया और मंथन में कई हीरे,जवाहरत सहित अमृत कलश निकला जिसको देवताओ और राक्षकों के बीच लूटने के प्रयास में उसकी कुछ बुँदे नासिक उज्जैन हरिद्वार और वाराणसी में कुम्भ लगता है तथा वामन भगवान अवतार द्वारा तीन गज ज़मीन का विस्तृत वर्णन किया और श्रीकृष्णा जन्म का सुन्दर वर्णन करते हुए कथा वाचक पं.मुकेश पाठक ने बताया कि भाद्रपद कृष्णअष्टमी तिथि की घनघोर अंधेरी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान् श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। श्रीकृष्ण के जन्म पर बधाई के गीत गए मातृशक्ति ने गीतों पर खूब आनंद लिया। आज की आरती ईश्वर पांचाल,सतीश भावसार,अशोक पोरवाल,पिंटू ठाकुर,लोकेश शर्मा,विभा दुबे,लोकेन्द्र धाकरे,राहुल प्रजापति, ओमप्रकाश विजयवर्गीय,अर्चना भावसार,राहुल बाली,बाबूलाल चौधरी,शुभम प्रजापति,दीपक गुप्ता,आशा देवी,ज्योति मिश्रा सहित समस्त भक्तजनो द्वारा की गई।
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