बागली (सुनील योगी)। चुनाव में बड़े-बड़े वादे करने वाले जनप्रतिनिधि कुछ ही दिनों में कालीसिंध घाट का कायाकल्प करने का सपना दिखाने वाले अब दिखाई नहीं दे रहे हैं। बागली मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर दूर जटाशंकर तीर्थ और इसी मार्ग के जरिए कांटाफोड़ लिंक मार्ग अत्यधिक जर्जर अवस्था में आ चुका है। जटाशंकर तीर्थ स्थल पर वर्ष में चार महत्वपूर्ण पर्व के चलते 50000 से 100000 श्रद्धालु दर्शन लाभ लेने आते हैं। शिवरात्रि आंवला नवमी डोल ग्यारस और सावन माह के सोमवार इसी मार्ग से 12 आदिवासी बाहुल्य गांव बागली विकासखंड के जुड़ते हैं। क्षेत्र के विधायक रह चुके दीपक जोशी कार्यकाल समय में 3 किलोमीटर का मार्ग डामरीकरण स्वीकृत होकर निर्माण हुआ था 18 वर्षों के बाद इस मार्ग की कोई सुध नहीं ली गई । सावन माह में कावड़यात्री पैदलयात्रा करते हैं तो उनके पैरों से खून निकलने लगता है । मार्ग में गिट्टी और गड्ढे इतने अधिक हो गए हैं कि औसतन प्रतिदिन एक वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त होता है। कालीसिंध पुलिया बागली नगरीय सीमा अंतर्गत आती है। इस पर रोलिंग नहीं होने की वजह से और अति सकंरी होने की वजह से कई बार बड़े वाहन टूट-फूट का शिकार होते हैं और इसी पुलिया के चलते कांटाफोड़ के लिए बस मालिक परमिट नहीं ले रहे हैं। पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष अमोल राठौड़ ने कहा हमने अपने कार्यकाल के अंतिम समय में पुल पर सुरक्षा की दृष्टि से रोलिंग लगवा दी थी।
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